रोजगार / नौकरी इंसान की जिंदगी से जुड़ी हुई एक जरूरत है जो एक समस्या का रूप ले चुकी है किसी ने सच ही कहा है की दुनिया में रहना है तो काम कर प्यारे,। जैसे हर समस्या का समाधान होता है वैसे ही इसी दुनिया में रोजगार की इस समस्या का भी समाधान है।
सृष्टि का एक नियम है कि वह हर पल बदल रही है सृष्टि के साथ बदलने वाला सृष्टि के साथ जीता है वरना इसका नसीब फना हो जाना है क्या यह समस्या पहले नहीं थी यह सोचने का विषय है शायद समस्या की विकरालता ही हमें डराती है।
परंपरागत कार्य करने के तरीके समय के साथ पुराने होते जाते हैं और उनका स्थान लेने के लिए समय के साथ हो रही तकनीकी उन्नति के कारणों से उनका पतन होना प्रारंभ हो जाता है जो इस पर अपनी निगाह रखते हैं और समय के साथ तकनीकी उन्नति को सिखाते हुए अपने कार्य करने के तरीके में बदलाव करते हुए आगे बढ़ते हैं वही समस्या से समाधान तक पहुंच जाते हैं। किसी भी समस्या के समाधान के लिए उसके उत्पत्ति के कारणों को जानना आवश्यक होता है रोजगार की समस्या से समाधान तक आगे हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।
Table of Contents
1. रोजगार का इतिहास
प्राचीन काल:- कृषि और शिकार एवं हस्तशिल्प और व्यापार का दौर
पुरातन मानव सभ्यता में रोजगार का प्रमुख स्रोत कृषि और शिकार था। लोग स्वयं का पेट भरने अथवा खाने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खेती करते थे और शिकार करते थे। पेट भरने की यदि आवश्यकता ना हो तो कितने लोग काम करना पसंद करते, एक बार सोचिएगा जरूर ?
कृषि एवं शिकार को करने / साधने के लिए औजार / साधनों का निर्माण किया गया जिसके फल स्वरुप धीरे-धीरे, कृषि के साथ-साथ हस्तशिल्प और औजार / साधनों का आदान-प्रदान दूसरे शब्दों में वस्तु विनिमय के रूप में व्यापार भी रोजगार के प्रमुख साधन बने। लोग वस्त्र, मिट्टी के बर्तन, और धातु के उपकरण बनाने लगे और इनका व्यापार शुरू हुआ। इस वक्त तक खाने पीने की वस्तुओं एवं औजारों का संग्रह नहीं किया जा रहा था।
मध्यकाल:- श्रम और कारीगर एवं समूह और संघ का दौर
इस दौर में मानव सभ्यता ने बौद्धिक स्तर पर भी प्रगति की जिससे हस्तशिल्पियों और मजदूरों की संख्या बढ़ी और उन्होंने अपने लिए सुरक्षा एवं मनोरंजन के साधन तैयार किये। खेती के अलावा लोग धागे से लेकर कपड़ा बनाने तक, चमड़े से लेकर जूतों के निर्माण तक, धातुओं की वस्तुओं का और अन्य कई प्रकार के हस्तशिल्प में महारत हासिल की।अब एक विस्तृत रोजगार के अवसर लोगों के सामने थे।
विभिन्न विशिष्ट श्रेणी के शिल्पकारों और मजदूरों ने अपने-अपने अलग समूह और संघ बनाए, जिससे उनकी रोजगार / नौकरियों में सुरक्षा और स्थायित्व बढ़ा। इस दौर में मानव ने निरंतर प्रगति करते हुए अपनी आने वाली पीढियां के लिए भी सुरक्षा एवं स्थायित्व का निर्माण किया। इस दौर में रोजगार पारिवारिक विरासत में फलते फूलते रहे।
औद्योगिक क्रांति:- कारखाने और उद्योग एवं शहरीकरण
18वीं और 19वीं सदी में औद्योगिक क्रांति ने रोजगार / नौकरियों के स्वरूप को बदल दिया। हाथों से तथा पालतू
जानवरों की माध्यम से किए जाने वाले कार्य अब मशीनों से किए जाने शुरू हो चुके थे इन मशीनों को चलाने के लिए व्यक्तियों की जरूरत महसूस की जाने लगी थी। मशीनों और बड़े पैमाने पर उत्पादन की शुरुआत ने कारखानों में मजदूरों की मांग बढ़ा दी। इस दौर में रोजगार के अवसर तो बढ़े परंतु परंपरागत रोजगार पर असर पड़ना शुरू हो चुका था। यह वही दौर था जिसमें घोड़ा गाड़ी का स्थान मोटर कारों ने लेना शुरू कर दिया था। मिसाल के तौर पर नया दौर (1957) हिंदी मूवी में इसे दर्शाने की कोशिश की गई है।
औद्योगिक केंद्रों की स्थापना के साथ साथ शहरों का निर्माण शुरू हो चुके थे लोग रोजगार तथा बेहतर जिंदगी की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर बढ़े, जिससे शहरीकरण में वृद्धि हुई। कभी कोई सिक्का सिर्फ हेड की तरफ ना ढ़ाला जा सका है हेड के साथ टेल का निर्माण स्वत: हो जाता है मानव जीवन में सुविधाऐ तो बढ़ी परंतु साथ में अन्य कई प्रकार की मुश्किलें भी सामने आने लगी।
आधुनिक काल:- सेवा क्षेत्र का उदय एवं सूचना प्रौद्योगिकी का आगमन
20वीं सदी के इस दौर में लोगों के पास पैसा आया, वर्तमान दौर को समझने के लिए शिक्षा की आवश्यकता को महसूस
किया गया तथा वे नकारात्मक पहलू जो मानव जीवन पर उसके स्वास्थ्य को लेकर चुनौतियों के रूप में सामने आने लगे उसने सेवा क्षेत्र में प्रमुख रोजगार के अवसरों के रूप में उभर कर औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ समानांतर में अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया। बैंकिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में रोजगार के नए अवसर उभरे।
मानव सभ्यता के विकास के क्रम में सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के विकास ने रोजगार के नए क्षेत्र खोले जरूर परंतु परंपरागत रोजगार के अवसरों पर काफी गंभीर असर छोडे जो के पहले के समय के हिसाब से काफी व्यापक थे। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आईटी सपोर्ट, और डिजिटल मार्केटिंग जैसी नई रोजगार / नौकरियों का उदय हुआ। बदलाव को समझ कर जिन्होंने तैयारी कर रखी थी वह तो इस आपदा का सामना कर सके परंतु जिन्होंने इसको अनदेखा किया अथवा जिन्हें जानकारी नहीं थी वह पिछड़ते चले गए।
2. वर्तमान परिप्रेक्ष्य
तकनीकी विकास:- डिजिटल क्रांति एवं रिमोट वर्किंग
वर्तमान में, डिजिटलाइजेशन ने इंजीनियरिंग, मेडिकल, लीगल तथा ऐसे ही अन्य उद्योगों में आमूल चूल परिवर्तन किए हैं। जिसके कारण ई-कॉमर्स, फिनटेक, और हेल्थटेक जैसे क्षेत्रों में तेजी से रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।
COVID-19 कारोना महामारी के बाद, वर्क फ्रॉम होम, डिजिटल क्लासेस, रिमोट वर्किंग ने अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया है, जिससे काम करने के तरीके में बड़े बदलाव आए हैं। जिसके कारण किसी कार्य विशेष के लिए व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली अनावश्यक यात्राओं में काफी कमी आई है जिसके फल स्वरुप संसाधनों, समय और ऊर्जा का उपयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है।
गिग इकॉनमी:-फ्रीलांस और अस्थायी रोजगार
गिग इकॉनमी के विकास ने पारंपरिक रोजगार / नौकरियों को चुनौती दी है साथ ही किसी कार्य विशेष के लिए व्यय किए जाने समय के हिसाब से धन का उपयोग किया जा रहा है। लोग अब स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं उन्हें किसी के साथ अथवा किसी के अधीन कार्य करने की आवश्यकता नहीं है और वे अपने पूर्ण कालिक कार्य के साथ-साथ अल्प अवधि के कार्यों से आय कमा सकते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन:- स्वचालन का प्रभाव
“AI’ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के विकास ने मानव जीवन में बहुत सी सहूलियतों को प्रदान किया है परंतु इसके नकारात्मक पहलू की माने तो कई पारंपरिक रोजगार / नौकरियों को खतरे में डाल दिया है, लेकिन साथ ही नई तकनीकी रोजगार / नौकरियों का सृजन भी हो रहा है तथा मानव विकास के लिए नए क्षेत्र भी उपलब्ध हो रहे हैं।
3. भविष्य की परिस्थितियां
तकनीकी प्रगति:- उन्नत तकनीकों का विकास एवं डिजिटल कौशल की मांग
भविष्य में AI, मशीन लर्निंग, और स्वचालन में वृद्धि से रोजगार / नौकरियों के स्वरूप में बदलाव आएगा जिसके कारण बहुत से कार्य जो इंसानों द्वारा किए जा रहे थे उन्हें मशीनों द्वारा स्वचालित प्रक्रिया के तहत पूर्ण किया जा रहा होगा। कुछ नौकरियों में इंसानों का स्थान रोबोट ले लेंगे, जबकि नई तकनीकी का उपयोग करके इंसान रोबोट का निर्माण करेगा जिसके फलस्वरुप नए अवसर, नए रोजगार, नई नौकरियों का सृजन होगा।
भविष्य में डिजिटल और तकनीकी कुशलता की मांग बढ़ेगी। शिक्षा और कौशल विकास की नीतियों पर व्यक्ति एवं समाजों की तरफ से अधिक ध्यान दिया जाएगा।
कृषि एवं हरित क्रांति:- सतत विकास और पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, कृषि उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं, कृषि क्षेत्र में रासायनिक खादों के उपयोग से कृषि क्षेत्र में हुए नुकसान की भरपाई हेतु समाज जैविक खेती की तरफ अग्रसर है। उसी प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नये अनुसंधान किये जा रहे है, जिसके परिणाम स्वरूप इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
रिमोट वर्क और वैश्विक कार्यबल:- वैश्विक कार्यबल
रिमोट वर्क के कारण, वैश्विक कंपनियां विश्व भर में प्रतिभाओं की खोज की तरफ अग्रसर हैं जिसके कारण किसी भी प्रतिभाशाली व्यक्ति के पास पहले से कहीं ज्यादा अवसर उपलब्ध है। परिंदों को फिर से खुला आसमन मिला है।
निष्कर्ष
रोजगार / नौकरियों का भविष्य मानव सोच, तकनीकी प्रगति, आर्थिक संरचना में बदलाव, और सामाजिक परिवर्तनों पर निर्भर करेगा। किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत समझ उसे वन मैन आर्मी बना सकती है, जिसमें नए कौशल और शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे और भविष्य के रोजगार परिदृश्यों में एक व्यापक बदलाव सामने आने की सम्भावना बनती है। रोजगार के पारंपरिक मॉडल बदल रहे हैं, और नई पीढ़ी को इन बदलावों के लिए तैयार रहना होगा।