उद्देश्य "Mission"
किसी भी कार्य विशेष अथवा विशिष्ट उद्देश्य से किए जाने वाले कार्य को मिशन की संज्ञा दी जाती है। यहां पर मैं अपनी उन भावनाओं को साझा करने का प्रयास कर रहा हूं कि जब हम किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कार्य करने को अग्रसर होते हैं परंतु कई प्रकार की difficulties रूकावटे कष्टों या प्रलोभनों के रूप में हमें मिलती है उसे दशा में हमें किस प्रकार से पेश आना / रियेक्ट करना है उसे पंक्तियों में प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास है।
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मिशन का कारवां
किसी भी इंसान जब भी किसी ऐसे उद्देश्य के लिए जिसमें मानव समाज की भलाई छुपी होती है उन परिस्थितियों में उसे हर प्रकार के प्रलोभनों से बचाना होता है कई बार वे लालच में ऐसे पक्ष की तरफ जुड़े होते हैं जहां परअल्पकालीन लाभ तो प्राप्त हो सकते हैं परंतु दीर्घकालीन हितों में काफी नुकसान उठाना पड़ता है उन्हें अकेले ही नहीं यह कष्ट काफी बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित प्रभावित कर सकता है।
राष्ट्र
जमीन जायदाद के लिए लड़ने वाले, फिर भी चाहे मकान का प्लॉट हो, खेती की जमीन हो या फिर राष्ट्र के नाम पर एक बड़े भूभाग का टुकड़ा हो, यह भूल जाते हैं की राष्ट्र सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है यहां प्राणी बसते है जिन्हें यह अधिकार सृष्टि ने दिया। जब व्यक्ति ताकत पा लेता है तो वह कमजोर का शोषण करता है, इसे भूलकर यदि वह सहयोग की भावना से व्यक्ति का, प्राणियों का और सृष्टि का सहयोग करें तब कोई कारण नहींकि व्यक्ति प्रसन्न, प्राणी खुश और सृष्टि ना झूमे।
वक्त
जीवन के संघर्ष के दौर में कभी ना घबराना ऐ दोस्त क्योंकि यह वही वक्त होता है जब अक्सर लोग तुमसे कतराते हैं परंतु संघर्ष वह भट्टी है जिसमें तप कर लोहा फौलाद बन जाता है, जिस दिन संघर्ष का दौर खत्म होगा और सफलता कदम चूमेगी उस दिन वह व्यक्ति भी जो बगल से कतरा के निकल जाता था वह भी आपका साथ चाहेगा। पर कभी संघर्ष के दिनों का ना भूलना ऐ दोस्त, मंजिल पाने का रास्ताऔर तरीका सदैव दूसरों को बताते रहना।
आजादी
आजादी वह चीज है जब वह मिटा दी जाती है या खो जाती है तब उसकी असली कीमत का पता चलता है स्वाभिमानी व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी आजादी खोना नहीं चाहता है इतना तो वह प्राणी भी जानता है जिस इंसान जानवर कहता है। चाहे खाने को कम मिले, तन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ लंगोटी ही रहे इस दशा में भी जो अपनी बात कह सके और सुन सके ऐसा मन कभी भी गुलामी पसंद नहीं करता है।
दौर
किसी की भी जिंदगी में कठिन समय हमेशा नहीं रहता है, और ना ही अच्छा समय ही रहता है। अच्छे या बुरे किसी भी दौर में कभी भी किसी के साथ किसी भी व्यक्ति को ऐसा नहीं करना चाहिए, की अच्छी बातों की जगह ऐसी बातों का स्मरण हो जिसमे सामने वाले की छवि खराब बनती हो। जो की यादों में हमेशा के लिए बस जाए, जब कभी फुर्सत के पलों में याद आए तब मन दुर्भावना से भर जाए। हमारा प्रयास हमेशा ऐसा होना चाहिए जिसमें प्रेम और अपनत्व की महक आए।
झूठ का महल
एक गहरे और प्रेरणादायक संदेश जो सच्चाई और झूठ के संघर्ष पर आधारित है। जब हम झूठ और फरेब के महल को गिराने का प्रयास कर रहे होते हैं, तब नासमझ लोग उस झूठ को बनाए रखने के लिए अनजाने में रुकावट डाल देते हैं। वे उस कमजोर और खोखली संरचना को थामने का प्रयास करते हैं, जो अब टूटने के कगार पर है। लेकिन झूठ का महल अब इतना कमजोर हो चुका है कि उसकी दीवारें गुम्बद और मीनारों को थामने में सक्षम नहीं हैं।
झूठ और फरेब की बुनियाद पर खड़ी इमारत कभी स्थायी नहीं हो सकती। चाहे कितने ही प्रयास क्यों न किए जाएं, अंततः सत्य की जीत होती है। अब समय आ गया है कि इस महल के साथ-साथ उसकी सारी संरचनाओं—गुम्बद, मीनारों और ठड्डियों को भी दफन कर दिया जाए, ताकि झूठ का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो सके।
सत्य की राह कठिन हो सकती है, लेकिन झूठ की इमारत कभी स्थायी नहीं होती। अंततः सत्य ही विजयी होता है, और हमें झूठ के खिलाफ संघर्ष में डटे रहना चाहिए, क्योंकि जब झूठ की बुनियाद ढहती है, तो वह फिर कभी खड़ी नहीं हो सकती।
मित्रघात
संघर्ष, सच्चाई, और जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के बारे हमें उस स्थिति से रूबरू होना जरूरी हैं, जब लोग सच्चाई का सामना करने में असमर्थ होते हैं और कुतर्कों, गालियों, और यहां तक कि हिंसा का सहारा लेते हैं। जब उनके पास तर्क और साक्ष्य खत्म हो जाते हैं, तो वे साथ देने का दिखावा करते हैं, लेकिन मौका पाते ही फिर से धोखा देते हैं।
इसलिए, हमें सजग और सतर्क रहना चाहिएहैं। जीवन के संघर्षों में धोखेबाजों और कुतर्कियों से हमेशा सावधान रहना चाहिए, क्योंकि वे हमारे लिए जाल बिछाते हैं। हमें अपने लक्ष्यों की ओर निरंतर संघर्षरत रहना चाहिए, चाहे स्थिति कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो। संघर्ष करने वालों को ही मंजिल और जीत मिलती है, और वही अंत में जश्न मनाते हैं।
संघर्ष और कठिनाइयों के बीच भी सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर डटे रहना ही असली जीत है। जब लोग आपके खिलाफ कुतर्क, गाली, या हिंसा का सहारा लें, तो आपको खुद को इनसे दूर रखकर संघर्ष जारी रखना है, क्योंकि अंततः जीत उसी की होती है जो निरंतर प्रयास करता है।
बुलंदी
हमें सहयोग, एकता और सामूहिक शक्ति की महत्ता कुछ समझना आवश्यक हैं।किसी एक व्यक्ति की आवाज में उतनी ताकत नहीं होती, जितनी कई आवाजों के एक साथ आने पर होती है। जब व्यक्ति अकेला अपनी आवाज बुलंद करता है, तो उसकी प्रभावशीलता सीमित हो सकती है, लेकिन जब कई लोग एकजुट होकर “हम” के रूप में बोलते हैं, तब वह आवाज एक आंदोलन का रूप ले लेती है। चाहे कोई भी संघर्ष हो, उसमें एकजुटता और सामूहिक प्रयास ही वास्तविक परिवर्तन लाते हैं।साथ मिलकर किए गए प्रयास ही सही मायनों में बुलंदी और सफलता हासिल करते हैं।